मंडी में आपदा से बेघर हुए परिवारों की तड़पती जिंदगी, पांच महीने बाद भी नहीं मिला सहारा

मंडी में आपदा से बेघर हुए परिवारों की तड़पती जिंदगी, पांच महीने बाद भी नहीं मिला सहारा

मंडी का सुदूर पहाड़ी गांव कल्हणी, जहां 17 परिवारों की जिंदगी 13 अगस्त 2023 की उस भयावह बारिश के बाद से ही अधर में लटकी हुई है। भारी बारिश ने उनके पक्के आशियानों को मिट्टी के ढेर में बदल दिया, लेकिन पांच महीने बीत जाने के बाद भी सरकार की मदद का इंतजार ही बाकी है।

ये परिवार अब टूटी-फूटी झोपड़ियों या रिश्तेदारों के घरों में शरण लिए हुए हैं। कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर बच्चे, बूढ़े और महिलाएं हर रोज सरकार की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देखते हैं।

मेघ सिंह, घर का मुखिया बताते हैं, “पत्नी और बच्चों के साथ टूटी झोपड़ी में रह रहे हैं। बारिश का खतरा है, कब छत टूटेगी पता नहीं। सरकार से बस इतनी गुहार है कि जल्द मुआवजा मिले ताकि दोबारा पक्का घर बना सकें और अपने बच्चों को सुरक्षित माहौल दे सकें।”

उनके पड़ोसी चुनी लाल भी हताशा व्यक्त करते हैं, “हर दफ्तर के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन फाइलें हिल ही नहीं रहीं। ये घर मरम्मत के लायक नहीं, नए सिरे से बनवाने पड़ेंगे। कुछ लोगों को तो मुआवजा मिल गया, लेकिन हम जैसे गरीबों को अनदेखा किया जा रहा है।”

हल्का पटवारी की रिपोर्ट में इन घरों को 80% तक क्षतिग्रस्त बताया गया है, मगर पीड़ितों का आरोप है कि यह रिपोर्ट असलियत को नजरअंदाज करती है। वो मांग करते हैं कि अधिकारी दोबारा मुआयना करें और क्षति का सही आकलन कर मुआवजा राशि मुहैया कराएं।

सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जियो टैगिंग करवा ली है, मगर इसके बाद भी प्रक्रिया का रुकाव ग्रामीणों की नाउम्मीदी बढ़ा रहा है। उपायुक्त मंडी द्वारा एसडीएम थुनाग को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत में बदलाव लाने की ज़रूरत है।

कल्हणी के 17 परिवारों को सच में सरकार का साथ मिलेगा? क्या ठंड के इस मौसम में उन्हें अपना पक्का आशियान ढूंढने की आस जगेगी? ये ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब मिलना बाकी है, और जिनका जवाब मंडी प्रशासन को जल्द देना होगा।

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