हिमाचल प्रदेश, जो आमतौर पर अपने ठंडे और सुहावने मौसम के लिए जाना जाता है, इस बार अप्रैल के अंत में ही भीषण गर्मी की चपेट में आ गया है। खासकर राज्य के मैदानी और तराई क्षेत्रों में तापमान तेजी से बढ़ रहा है। ऊना का तापमान इन दिनों राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बराबर 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर दर्ज किया गया है। वहीं, मंडी में भी पारा 37 डिग्री के आसपास पहुंच चुका है। यह असामान्य तापमान न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि पर्यटकों के लिए भी चिंता का विषय बन गया है, जो आमतौर पर गर्मी से राहत पाने के लिए इन पहाड़ी इलाकों का रुख करते हैं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के शिमला केंद्र ने प्रदेश के तराई क्षेत्रों के लिए अगले तीन दिनों तक हीटवेव का येलो अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग के अनुसार, मंडी और सुंदरनगर जैसे क्षेत्रों में लू चलने के संकेत स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। दोपहर के समय गर्म हवाएं लोगों को घरों में ही रहने पर मजबूर कर रही हैं और तापमान की यह स्थिति फिलहाल राहत के संकेत नहीं दे रही। हालांकि, उम्मीद है कि 1 मई से मौसम में बदलाव आएगा और तापमान में थोड़ी गिरावट के साथ कुछ स्थानों पर बारिश तथा आंधी-तूफान का असर देखने को मिलेगा।
प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन ने लोगों को लू से बचाव के लिए सतर्क रहने की सलाह दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन का यह प्रभाव सिर्फ अस्थायी नहीं बल्कि आने वाले वर्षों में एक स्थायी चुनौती के रूप में सामने आ सकता है। इसलिए इससे निपटने के लिए सामूहिक स्तर पर रणनीति विकसित करना अत्यंत आवश्यक है। इस असमय और तीव्र गर्मी ने न केवल कामकाजी लोगों की दिनचर्या पर असर डाला है, बल्कि विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ा दी है।
स्कूलों में दोपहर की कक्षाओं में छूट देने और गर्मी के समय पर छुट्टियों को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा आंतरिक समीक्षा की जा रही है। कई स्कूलों में शिक्षकों ने बच्चों को धूप में खेलने से रोक दिया है और कक्षाओं में अधिक वेंटीलेशन सुनिश्चित किया जा रहा है। वहीं बुजुर्ग लोग दिन के अधिकांश समय घरों में ही रहकर खुद को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं। छाते और टोपी के इस्तेमाल में वृद्धि देखी जा रही है, जबकि दुकानों पर नींबू पानी, बेल का शरबत और ग्लूकोज़ जैसे पेयों की मांग अचानक से काफी बढ़ गई है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि लोग बार-बार पानी पिएं, भले ही प्यास न लगी हो। शरीर को हाइड्रेटेड रखना अत्यंत आवश्यक है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें लंबे समय तक बाहर रहना पड़ता है। हल्के रंग के ढीले सूती कपड़े पहनने, चेहरे को कपड़े या छाते से ढंककर धूप से बचाव करने और दोपहर 12 से 3 बजे के बीच बाहर न निकलने की सलाह दी जा रही है। खेतों में काम करने वाले किसान भी सुबह जल्दी या देर शाम खेतों में जाने को प्राथमिकता दे रहे हैं ताकि सूरज की सीधी किरणों से बचा जा सके।
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के चलते मई के पहले चार दिनों के दौरान राज्य के अधिकांश हिस्सों में बारिश हो सकती है, जिससे तापमान में राहत मिलेगी। लेकिन जलवायु के अस्थिर रुख को देखते हुए यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में उत्तर भारत के पर्वतीय राज्य भी मैदानी गर्मी की चपेट से अछूते नहीं रहेंगे।
इस अप्रत्याशित मौसम बदलाव ने न केवल राज्य की भौगोलिक विशिष्टता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया है, बल्कि पर्यावरणीय नीतियों की समीक्षा की मांग भी तेज कर दी है। जहां एक ओर हिमाचल की सरकार पर्यटन और विकास को बढ़ावा देने में जुटी है, वहीं दूसरी ओर बढ़ती गर्मी के संकेत चेतावनी दे रहे हैं कि सतत विकास की दिशा में जलवायु अनुकूलन नीतियों को अब प्राथमिकता देना अत्यंत आवश्यक है।
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