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शिमला भट्टाकुफर हादसे में मिला न्याय, सरकार ने मुआवजे की सिफारिश की, लेकिन क्या हिमाचल के अन्य पीड़ितों को भी मिलेगा यही इंसाफ?

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के भट्टाकुफर क्षेत्र में फोरलेन निर्माण के कारण गिरी पांच मंजिला इमारत के मामले में सरकार ने मुआवजा देने की सिफारिश कर एक अहम फैसला लिया है। यह इमारत 30 जून 2025 को भूमि कटान के चलते भूस्खलन की चपेट में आ गई थी, जिसमें श्रेया, शौर्य और रंजना नामक परिवारों का आवासीय भवन पूरी तरह नष्ट हो गया था। घटना के बाद कांग्रेस नेता और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने इस मामले को तत्काल उठाया और प्रभावितों को न्याय दिलाने के लिए पूरी मजबूती से आवाज बुलंद की। उनकी तत्परता और जनहित की भावना ने सरकार को तत्काल जांच कमेटी गठित करने को मजबूर किया।

उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने चार जुलाई को एडीएम (लॉ एंड ऑर्डर) पंकज शर्मा की अध्यक्षता में जांच समिति बनाई, जिसने 18 जुलाई को रिपोर्ट सौंपी। समिति ने स्पष्ट किया कि भवन के गिरने का मुख्य कारण एनएचएआई द्वारा फोरलेन निर्माण के लिए की गई पहाड़ी की अंधाधुंध कटाई थी, जिसने इलाके की भू-संरचना को अस्थिर किया और हादसे का कारण बना। समिति ने भवन के नुकसान का कुल मूल्यांकन 5 करोड़ 61 लाख 92 हजार 048 रुपये किया, जिसमें जमीन, भवन और अन्य सामग्री का खर्च शामिल है।

डीसी अनुपम कश्यप ने निर्देश दिए हैं कि एनएचएआई के अधीन फोरलेन परियोजना में कार्यरत निर्माण कंपनी को यह पूरा मुआवजा प्रभावित परिवार को बिना किसी देरी के देना होगा और राशि का भुगतान पारदर्शिता के साथ किया जाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि भूमि अधिग्रहण पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 की धारा 30 के अंतर्गत मुआवजे की 100 फीसदी क्षतिपूर्ति सुनिश्चित होनी चाहिए।

हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम में मंत्री अनिरुद्ध सिंह की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वे न केवल घटना स्थल पर पहुंचे, बल्कि लगातार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत रहे कि पीड़ित परिवार को न केवल आर्थिक राहत मिले बल्कि सम्मानपूर्वक न्याय भी सुनिश्चित हो। उनके नेतृत्व ने यह संदेश दिया कि सरकार की संवेदनशीलता केवल शब्दों में नहीं, बल्कि निर्णयों में भी झलकती है।

लेकिन इस फैसले के बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या इसी तरह का न्याय उन सभी हिमाचलवासियों को भी मिलेगा जो राज्य के अन्य हिस्सों में एनएचएआई के निर्माण कार्यों से प्रभावित होकर आज भी नुकसान झेल रहे हैं? क्या वहां भी ऐसी ही तत्परता और पारदर्शिता से कार्यवाही होगी? सरकार की यह प्राथमिकता अब प्रदेशभर के लिए एक कसौटी बन चुकी है।

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