हिमाचल में मुख्य सचिव की सरकारी होली पार्टी पर उठा सियासी तूफान, भाजपा विधायक ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

0
8

शिमला के सरकारी गेस्ट हाउस “हॉलिडे होम” में आयोजित एक होली पार्टी ने हिमाचल प्रदेश की सियासत को गर्मा दिया है। इस कार्यक्रम में राज्य के मुख्य सचिव प्रभोध सक्सेना द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए आयोजित रंगारंग आयोजन को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक बिक्रम ठाकुर ने तीखा हमला बोला है। उनका आरोप है कि जब प्रदेश गहरे कर्ज में डूबा है, तब इस प्रकार का सरकारी खर्च जनभावनाओं का अपमान है और प्रशासनिक मर्यादा का खुला उल्लंघन भी।

ठाकुर ने इस आयोजन को न केवल लोकतांत्रिक भावना के खिलाफ बताया, बल्कि इसे केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम 1964 के तहत नैतिक और वैधानिक जिम्मेदारियों का भी उल्लंघन करार दिया। उनके अनुसार, जब प्रदेश की वित्तीय स्थिति इतनी नाजुक हो, तब अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक संसाधनों का उपयोग निजी उत्सवों के लिए करना एक असंवेदनशील और गैरजिम्मेदाराना रवैया है। जनता की सेवा के लिए तैनात अधिकारी यदि जनता के ही पैसों से विशेषाधिकार भोगने लगें, तो यह शासन प्रणाली की नींव को कमजोर करता है।

विधायक ठाकुर ने यह भी कहा कि राज्य का दायित्व है कि वह सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता और नैतिकता को बनाए रखे, लेकिन हालिया आयोजन इस सोच के उलट है। यह कार्यक्रम इस बात का संकेत देता है कि प्रशासनिक वर्ग में उत्तरदायित्व की भावना क्षीण होती जा रही है और सत्ता का केंद्र धीरे-धीरे जवाबदेही से दूर होता जा रहा है।

इस पूरे मामले को उजागर करने वाले पत्रकार की भूमिका भी इस बहस का अहम हिस्सा बन गई है। ठाकुर ने पत्रकार के साहसिक कर्तव्य की सराहना करते हुए कहा कि जिस समय प्रदेश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगातार खतरे मंडरा रहे हैं, ऐसे में पत्रकारिता की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि संबंधित पत्रकार को पूर्ण सुरक्षा और मानसिक रूप से स्वतंत्र वातावरण उपलब्ध कराया जाए ताकि वह निडर होकर अपने पेशेवर धर्म का पालन कर सके।

यह प्रकरण केवल एक होली पार्टी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्य में शासन के तौर-तरीकों, नौकरशाही की जवाबदेही और सार्वजनिक संसाधनों के उचित उपयोग पर एक व्यापक विमर्श की शुरुआत है। हिमाचल की जनता इस बहस को केवल विपक्ष और सत्ता के आरोप-प्रत्यारोप के रूप में नहीं देख रही, बल्कि इसे पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन की एक बुनियादी आवश्यकता के रूप में महसूस कर रही है। विपक्ष की ओर से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग अब सरकार के समक्ष एक स्पष्ट चुनौती के रूप में उभर चुकी है, जिस पर आने वाले दिनों में सरकार की प्रतिक्रिया यह तय करेगी कि वह जनविश्वास के साथ खड़ी है या प्रशासनिक विशेषाधिकारों की ढाल में।

#HimachalPolitics #PublicFundsControversy #BikramThakur #ChiefSecretaryHoliParty #TransparencyInGovernance

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here