11 जून से हर महीने बादल के गांव में धरना करेंगे जत्थे।
चौक मेहता/अमृतसर ( कुमार सोनी ) तीनों तख्त साहिबानों के हटाए गए जत्थेदारों की बहाली के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को 10 मई तक का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि ऐसा न होने पर 11 जून से हर महीने के पहले रविवार को 500 गुरसिखों का जत्था बादल गांव में पहुंचकर अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के निवास पर अपना विरोध जताएगा और गुरबाणी का जाप करेगा । यह निर्णय दमदमी टकसाल के मुख्यालय गुरुद्वारा गुरदर्शन प्रकाश मेहता चौक में संत समाज के अध्यक्ष एवं दमदमी टकसाल के प्रमुख संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा के नेतृत्व में गुरमत सिद्धांत का प्रचारक संत समाज के चुनिंदा गणमान्यों की बैठक में लिया गया। इस अवसर पर उपस्थित सभी महान संतों, सिख संगतों व संगठनों ने तख्तों के जत्थेदारों को 15 अप्रैल तक बहाल करने का संत समाज को दिया गया आश्वासन पूरा न करने पर शिरोमणि कमेटी के खिलाफ कड़ी आलोचना की तथा गहरा विरोध जताया। यह आश्वासन शिरोमणि कमेटी द्वारा संत समाज को उनके द्वारा श्री तेजा सिंह समुंद्री हाल श्री अमृतसर साहिब पर 28 मार्च को दिए गए रोष धरने के दौरान दिया गया था, जबकि संगत ने मांग की थी कि तख्त साहिबों के जत्थेदारों सिंह ज्ञानी रघबीर सिंह, सिंह साहिब ज्ञानी सुल्तान सिंह तथा सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह जी को उनके पदों पर बहाल किया जाए। इस संबंध में उन्होंने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की कार्यकारी कमेटी को 15 अप्रैल तक का समय दिया था.
संत समाज के अध्यक्ष एवं दमदमी टकसाल के प्रमुख संत ज्ञानी हरनाम सिंह खालसा ने कहा कि संगत बादल गांव में विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले समूहों के लिए पानी, भोजन और बैठने की व्यवस्था करेगी। जून में घल्लूघारा उत्सव के कारण पहला समूह 11 जून को बादल गांव जाएगा, जबकि जुलाई से हर महीने के पहले रविवार को जाएगा। इस अवसर पर सभी संगतों से भाई कुलदीप सिंह गर्गज और बाबा टेक सिंह धनौला का पूर्ण रूप से बहिष्कार करने की भी अपील की गई, जिन्हें नियमों, पंथक परंपराओं और पंथ से असहमति रखते हुए ‘जत्थेदार’ के रूप में नियुक्त किया गया था, उन्होंने कहा कि यह किसी व्यक्ति विशेष के अहंकार और हठ को संतुष्ट करने के लिए किया गया है। सिख सिद्धांत को कमजोर करने के कारण श्री आनंदपुर साहिब में आयोजित पंथिक सभा ने पहले ही इन नियुक्तियों को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही जो भी शिरोमणि कमेटी का सदस्य या पदाधिकारी इन जत्थेदारों को संगतों या समागमों में लेकर आता है, उसका भी पूर्ण रूप से बहिष्कार किया जाना चाहिए।