हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर आसमान ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं और आने वाले दिनों में बारिश की रफ्तार और तेज होने के संकेत मिल रहे हैं। मौसम विभाग ने राज्य के कई जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। पहले चरण में शनिवार और रविवार को कुछ इलाकों में येलो अलर्ट रहेगा, लेकिन 11 अगस्त से बारिश का स्वरूप और आक्रामक हो सकता है, जिसके चलते 14 अगस्त तक कई जिलों में ऑरेंज अलर्ट लागू कर दिया गया है। यह चेतावनी उस समय आई है, जब पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश ने पहाड़ों में भूस्खलन, सड़क अवरोध और जनजीवन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, 9 अगस्त को ऊना, कांगड़ा और सिरमौर में भारी वर्षा के साथ बिजली गिरने का खतरा रहेगा, जबकि 10 अगस्त को ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी और सिरमौर में येलो अलर्ट रहेगा। 11 अगस्त को कांगड़ा और मंडी में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना के चलते ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है, वहीं ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, सोलन और सिरमौर में येलो अलर्ट लागू रहेगा। 12 अगस्त को चम्बा और कांगड़ा में भारी से बहुत भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट रहेगा, जबकि कुल्लू, मंडी और सिरमौर में येलो अलर्ट होगा। 13 और 14 अगस्त को राज्य के अधिकांश जिलों में भारी वर्षा के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है, जो इस अवधि में संभावित प्राकृतिक आपदाओं का संकेत है।
शुक्रवार को राजधानी शिमला समेत राज्य के कई हिस्सों में बारिश हुई, हालांकि नाहन, कुफरी और नारकंडा में बादलों ने जमकर बरसात की। नारकंडा में 49.5 मिलीमीटर, कुफरी में 47.5 मिलीमीटर और नाहन में 42.1 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई, जबकि राजधानी शिमला में 6 मिलीमीटर बारिश हुई। गुरुवार रात को बिलासपुर के घाघस में 14 मिलीमीटर, मंडी के मुरारी देवी में 13 मिलीमीटर और कुल्लू के बंजार में 8 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। इन इलाकों में लगातार बारिश के चलते भूस्खलन की घटनाएं भी बढ़ गई हैं, जिससे यातायात और जनजीवन पर असर पड़ रहा है।
राज्य में सड़कों और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हो रहा है। शुक्रवार शाम तक 1 राष्ट्रीय राजमार्ग और 357 संपर्क मार्ग यातायात के लिए बंद थे। इनमें मंडी जिले में 206, कुल्लू में 99 और कांगड़ा में 22 संपर्क मार्ग शामिल हैं। कुल्लू जिले में एनएच-305 जहेड़ खनग के पास कई दिनों से अवरुद्ध पड़ा है। भारी बारिश ने बिजली और पानी की आपूर्ति को भी गंभीर रूप से बाधित किया है। प्रदेश में 599 बिजली ट्रांसफार्मर बंद हैं, जिनमें अकेले कुल्लू में 382 और मंडी में 204 ट्रांसफार्मर शामिल हैं। इसी तरह 177 पेयजल योजनाएं प्रभावित हैं, जिनमें से मंडी में 105 और कांगड़ा में 72 योजनाएं ठप हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल 20 जून से शुरू हुए मानसून सीजन में अब तक हिमाचल प्रदेश को लगभग 1988 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। इसमें लोक निर्माण विभाग को 1055 करोड़ रुपये और जल शक्ति विभाग को 681 करोड़ रुपये की क्षति हुई है। प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से यह मानसून सीजन बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। अब तक 1977 मकान क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिनमें 493 पूरी तरह ढह गए हैं। 300 दुकानें और 1870 गौशालाएं भी नष्ट हो चुकी हैं। अकेले मंडी जिले में 1156 मकान और 268 दुकानें ढहने की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
इस मौसम में आपदा संबंधी घटनाओं की संख्या भी चिंता बढ़ाने वाली है। अब तक 58 बार फ्लैश फ्लड, 30 बार बादल फटने और 51 बार भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की गई हैं। इन घटनाओं ने न केवल सड़क और संचार व्यवस्था को प्रभावित किया है, बल्कि लोगों के जीवन और आजीविका पर भी गहरा असर डाला है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगले कुछ दिनों तक जारी रहने वाली भारी बारिश से नुकसान का आंकड़ा और बढ़ सकता है। राज्य प्रशासन ने आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों के लिए सभी जिलों में अलर्ट मोड पर काम शुरू कर दिया है। लोगों को नदियों और नालों के किनारे जाने से बचने और पहाड़ी ढलानों पर सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।
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