हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के इंदौरा क्षेत्र में स्थित खेतों में हाल ही में ड्रोन के गोले का मलबा मिलने से एक बार फिर सीमा पार से बढ़ते खतरे की आशंका गहराने लगी है। यह क्षेत्र माता चिंतपूर्णी धाम के समीप स्थित है और यहां धार्मिक आस्था का विशेष केंद्र है। मिली जानकारी के अनुसार, यह मलबा संभवतः पाकिस्तान की ओर से भेजे गए ड्रोन का हिस्सा है, जो भारतीय सीमाओं में घुसपैठ और आतंक फैलाने के उद्देश्य से प्रयोग किए जा रहे हैं। यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब जम्मू के शंभू मंदिर पर भी आज हमला हुआ है, जिसमें मंदिर का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। इन घटनाओं को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तान की ओर से अब हिन्दू धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने की साजिश रची जा रही है।
भारत में माता वैष्णो देवी, चिंतपूर्णी, ज्वालाजी, नैना देवी और ब्रजेश्वरी देवी जैसे शक्तिपीठ केवल श्रद्धा और आस्था के केंद्र नहीं हैं, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक हैं। इन्हीं स्थलों के इर्द-गिर्द अब पाकिस्तान की घिनौनी नजर पड़ती दिख रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटनाएं महज संयोग नहीं, बल्कि एक गहरी साजिश का हिस्सा हो सकती हैं, जिसका उद्देश्य देश के भीतर दहशत फैलाना और धार्मिक सौहार्द्र को चोट पहुंचाना है।
हिमाचल प्रदेश की सीमाएं पंजाब और जम्मू से लगती हैं और यह इलाका भले ही शांत हो, लेकिन सामरिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है। ड्रोन गतिविधियों की बढ़ती घटनाओं को देखकर अब यह जरूरी हो गया है कि प्रदेश सरकार विशेष रूप से कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर और बिलासपुर जिलों में अधिक सतर्कता बरते, जहां बड़े स्तर पर माता के मंदिर और धार्मिक मेले आयोजित होते हैं। इन स्थानों पर सीसीटीवी, ड्रोन विरोधी तकनीक और खुफिया निगरानी को मजबूत करना समय की मांग है।
प्रदेश में पहले भी सुरक्षा को लेकर अलर्ट जारी होते रहे हैं, लेकिन अब जब सीमा पार से ड्रोन की मारक क्षमता और आतंक फैलाने के इरादों में इजाफा हुआ है, तो सरकार को अपने सुरक्षा तंत्र को नए स्तर पर तैयार करना होगा। स्थानीय प्रशासन, पुलिस और खुफिया एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर, धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी। श्रद्धालुओं की आस्था को आंच न आए, इसके लिए हर संभव कदम उठाना अब जरूरी हो गया है।
शंभू मंदिर पर हुआ ताजा हमला इस बात का सबूत है कि पाकिस्तान की रणनीति अब केवल सीमित क्षेत्रों तक नहीं, बल्कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की ओर मुड़ी है। यह केवल हिन्दू धर्म के मंदिरों को निशाना बनाने की बात नहीं, बल्कि भारत की सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को तोड़ने की कोशिश है। ऐसे में हिमाचल जैसे शांत पहाड़ी राज्य को भी अपने धार्मिक स्थलों के प्रति सजग रहना होगा।
इस समय सरकार, प्रशासन और समाज को मिलकर एकजुटता से काम करने की जरूरत है, ताकि पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। लोगों में जागरूकता फैलाकर, सुरक्षा उपायों को अपनाकर और समय-समय पर सतर्कता अभ्यास कर, इन संभावित खतरों को रोका जा सकता है।
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