शिक्षा मंत्री के गृह क्षेत्र में परीक्षा परिणाम पर सवाल: हिमाचल प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में गहरी खामियां

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हिमाचल प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की दिशा में काम कर रही सरकार के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। शिमला जिले के एक स्कूल में परीक्षा परिणाम बेहद निराशाजनक रहे हैं, जो न केवल सरकारी नीति पर सवाल उठा रहे हैं, बल्कि शिक्षा मंत्री के लिए भी शर्मिंदगी का कारण बन गए हैं। शिमला जिले के एक छोटे से गांव में स्थित स्कूल में इस बार सभी छात्र दसवीं कक्षा की परीक्षा में फेल हो गए हैं। यह स्कूल राज्य के शिक्षा मंत्री के गृह क्षेत्र में आता है, और उनके द्वारा गोद लिया गया था। यह स्थिति शिक्षा मंत्री की नाकामी को उजागर करती है, क्योंकि उनके गृह क्षेत्र के छात्रों का परीक्षा परिणाम बेहद निराशाजनक है।

पिछले दो सालों से इस स्कूल में गणित के शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई है। शिक्षक की लंबी स्टडी लीव के कारण छात्रों को गणित की पढ़ाई नहीं हो पाई, और इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ा। शिक्षा मंत्री के गृह क्षेत्र में यह स्थिति कई सवालों को जन्म देती है। इस स्कूल के छात्रों का परिणाम न केवल शिक्षा मंत्री के लिए, बल्कि पूरे राज्य के शिक्षा तंत्र के लिए चिंता का कारण बन चुका है।

यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब यह पता चलता है कि यह वही स्कूल है जिसे शिक्षा मंत्री ने अपनी व्यक्तिगत पहल पर गोद लिया था। इस स्कूल के बच्चों की मदद करने के लिए मंत्री ने कई बार योजना बनाई थी, लेकिन उनके प्रयासों का प्रभाव अब तक धरातल पर नहीं दिखा। इस स्कूल के 6 छात्रों ने दसवीं कक्षा की परीक्षा दी थी और सभी असफल हो गए।

वहीं दूसरी ओर, जुब्बल के एक अन्य सरकारी स्कूल, जिसमें 20 छात्र थे, में भी 10 छात्रों को असफलता का सामना करना पड़ा। यही नहीं, जुब्बल के कन्या विद्यालय में 19 में से 8 छात्राएं भी परीक्षा में फेल हो गईं। इन नतीजों से न केवल शिक्षा मंत्री के घर के पास के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठते हैं, बल्कि शिक्षा के स्तर पर भी बड़े चिंताजनक संकेत मिलते हैं।

शिक्षा मंत्री ने इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन स्कूलों से रिपोर्ट मांगी जा रही है जिनके परिणाम अच्छे नहीं रहे। हालांकि, इस स्थिति के बाद यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या शिक्षा मंत्री अपनी जिम्मेदारी सही से निभा पा रहे हैं, खासकर जब बात उनके गृह क्षेत्र की हो, जहां उन्होंने विशेष ध्यान देने का वादा किया था।

हिमाचल प्रदेश में इस बार दसवीं कक्षा का समग्र परिणाम 79.08% रहा था, जो पिछले साल के मुकाबले थोड़ी कमी को दर्शाता है। हालांकि, प्रदेश में इस बार साइना ठाकुर ने 99.43% अंक प्राप्त कर टॉप किया है, लेकिन इन अच्छे परिणामों के बीच कुछ क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर खतरनाक रूप से गिरता हुआ दिखाई दे रहा है।

शिक्षा मंत्री के गृह क्षेत्र में घटित हुई यह घटना प्रदेश में शिक्षा सुधार की दिशा में कई सवाल उठाती है। अगर शिक्षा मंत्री खुद अपने क्षेत्र में शिक्षा के स्तर को सुधारने में नाकाम साबित होते हैं, तो फिर प्रदेश की समग्र शिक्षा व्यवस्था में क्या बदलाव संभव हो पाएंगे?

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