हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर एक बड़ा सड़क हादसा उस वक्त होते-होते टल गया, जब श्रद्धालुओं से भरी एक बस देर रात खाई में जा गिरी। यह हादसा शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात करीब 1:30 बजे बरमाणा थाना क्षेत्र के अंतर्गत नम्होल नामक स्थान पर हुआ, जहां एक निजी बस ‘गुड़िया’ नूरमहल (पंजाब) से दाड़लाघाट (हिमाचल) की ओर जा रही थी। बस में लगभग 36 लोग सवार थे, जिनमें से अधिकांश श्रद्धालु थे जो गुरु पूर्णिमा पर धार्मिक आयोजन में भाग लेने जा रहे थे।
घटना के वक्त जब बस नम्होल के पास पहुंची, तो अचानक उसका नियंत्रण बिगड़ गया और वह लगभग 20 से 25 फीट गहरी खाई में जा गिरी। घटना की सूचना मिलते ही नम्होल पुलिस चौकी से सहायक उप निरीक्षक हरीश कुमार के नेतृत्व में मुख्य आरक्षी पवन, आरक्षी विकास कुमार और होमगार्ड संजय कुमार तत्काल मौके पर पहुंचे। पुलिस टीम ने स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया और सभी यात्रियों को समय रहते बस से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
तेज और सक्रिय राहत कार्यों की बदौलत इस भीषण हादसे के बावजूद कोई जान हानि नहीं हुई, लेकिन 26 लोग घायल हो गए हैं। सभी घायलों को तुरंत प्राथमिक उपचार के लिए एम्बुलेंस के माध्यम से एम्स बिलासपुर रेफर किया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। बताया जा रहा है कि अधिकतर घायल सोलन जिले के दाड़लाघाट और आसपास के क्षेत्र के रहने वाले हैं। पुलिस ने कहा कि यदि राहत कार्यों में थोड़ी भी देरी होती, तो यह हादसा गंभीर जानमाल के नुकसान में तब्दील हो सकता था।
फिलहाल, बस के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। प्रारंभिक जांच में यह अंदेशा जताया जा रहा है कि बस चालक को नींद आ जाने या सड़क की स्थिति के चलते वाहन का संतुलन बिगड़ा हो सकता है। हालांकि, पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है और वाहन की तकनीकी स्थिति से लेकर ड्राइवर की मेडिकल जांच तक सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तहकीकात की जा रही है।
यह घटना एक बार फिर प्रदेश में सड़क सुरक्षा, वाहनों की नियमित जांच और रात के समय यात्रा के जोखिमों पर सवाल खड़े करती है। श्रद्धालुओं से भरी बसों के लिए अतिरिक्त सावधानी और प्रशिक्षित ड्राइवरों की तैनाती जैसी व्यवस्थाएं ज़रूरी मानी जा रही हैं। साथ ही, इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों में सामूहिक यात्राओं के दौरान सुरक्षा उपायों पर और अधिक ध्यान देने की मांग उठने लगी है।
गुरु पूर्णिमा जैसे आध्यात्मिक अवसर पर हुए इस हादसे ने जहां श्रद्धालुओं के लिए यात्रा को भयावह बना दिया, वहीं राहत की बात यह रही कि प्रशासन की तत्परता ने एक बड़े संकट को टाल दिया। स्थानीय लोगों की मानवीय भागीदारी और पुलिस के तेज़ एक्शन ने एक उदाहरण प्रस्तुत किया कि आपदा के क्षणों में त्वरित सहयोग कैसे जीवन बचा सकता है।
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