औट टनल हादसा: तेज रफ्तार, ओवरटेक और जाम में मौत

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हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में एक और दिल दहला देने वाला सड़क हादसा सामने आया है, जिसने न केवल दो परिवारों को झकझोर दिया है, बल्कि राज्य की सड़कों पर यातायात प्रबंधन और सार्वजनिक सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह दर्दनाक दुर्घटना मंगलवार रात करीब 10 बजे औट टनल के भीतर घटी, जब एक ऑल्टो कार जाम में फंसे ट्रक से जा टकराई। इस भीषण टक्कर में एक युवक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरा गंभीर रूप से घायल है और कुल्लू अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा है।

घटना के समय चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पर औट टनल के आसपास पहले से ही भारी जाम की स्थिति बनी हुई थी। इसकी मुख्य वजह थी कुछ ही दूरी पर पलटी एक सेब से लदी ट्रक, जो इस व्यस्त हाईवे पर यातायात को रोक देने के लिए पर्याप्त था। टनल के भीतर ट्रैफिक धीमा रेंग रहा था और औट थाना पुलिस की टीम मौके पर पहुंचकर व्यवस्था को दुरुस्त करने का प्रयास कर रही थी।

इसी दौरान मंडी जिले के सुंदरनगर क्षेत्र से संबंधित दो युवक अपनी ऑल्टो कार में कुल्लू से मंडी की ओर यात्रा कर रहे थे। वाहन चला रहे राजेंद्र कुमार (32), निवासी खुराहल, ने संभवतः स्थिति की गंभीरता को समझे बिना तेज रफ्तार में ओवरटेक करने का प्रयास किया। लेकिन टनल के भीतर की बंद और नियंत्रित रफ्तार वाली परिस्थिति में यह फैसला घातक सिद्ध हुआ। ऑल्टो कार सीधे जाम में फंसे एक ट्रक के पिछले हिस्से में जा घुसी, जिससे कार का अगला हिस्सा पूरी तरह चकनाचूर हो गया। इस भीषण टक्कर में राजेंद्र के साथ यात्रा कर रहे 35 वर्षीय मनोज कुमार, पुत्र प्रकाश चंद, की मौके पर ही मृत्यु हो गई। घटना इतनी जबरदस्त थी कि मनोज को बचाने का कोई अवसर नहीं मिला।

दुर्घटना के तुरंत बाद स्थानीय पुलिस और बचाव दल ने मौके पर पहुंचकर घायल राजेंद्र को कुल्लू अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। थाना औट के प्रभारी कर्ण सिंह ने हादसे की पुष्टि करते हुए बताया कि मामले की विस्तृत जांच की जा रही है और प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार यह दुर्घटना लापरवाही से तेज गति और अनुचित ओवरटेक की वजह से हुई।

यह हादसा एक बार फिर उन तमाम सवालों को जन्म देता है, जो हिमाचल प्रदेश की सड़कों, विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित टनलों और संकरी घाटियों में यातायात प्रबंधन को लेकर अक्सर उठते रहते हैं। राज्य के नेशनल हाईवे पर बढ़ते ट्रैफिक दबाव, लापरवाही से वाहन चलाना, और परिवहन नियमों की अनदेखी ने हाल के वर्षों में कई बेशकीमती जानें ली हैं।

औट टनल, जो रणनीतिक दृष्टि से मंडी और कुल्लू जिलों को जोड़ने वाला एक प्रमुख मार्ग है, अक्सर भारी ट्रैफिक दबाव में रहता है, विशेषकर फल-सब्जी सीजन में जब राज्य के सेब उत्पादक इलाकों से रोज़ाना सैकड़ों ट्रक बाहर भेजे जाते हैं। सेब सीजन के चलते पहले से ही हाईवे पर ट्रकों की लंबी कतारें लगी होती हैं, और जब कोई वाहन इस व्यवस्था को तोड़ने की कोशिश करता है, तब हादसे की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।

हादसे से उपजे गुस्से और चिंता के बीच विशेषज्ञों और स्थानीय निवासियों ने टनल के भीतर और उसके आस-पास यातायात नियंत्रण को लेकर अधिक सतर्कता की मांग की है। उनका कहना है कि पुलिस की मौजूदगी होने के बावजूद टनल के भीतर हाई-स्पीड ड्राइविंग और ओवरटेक जैसी घटनाएं, राज्य की सड़कों पर नियंत्रण व्यवस्था की कमियों को उजागर करती हैं।

राज्य सरकार और परिवहन विभाग को चाहिए कि वे ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में तेज गति से चलने वाले वाहनों के लिए इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली लागू करें, और दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए टनलों के प्रवेश बिंदुओं पर गति नियंत्रण संकेतक, स्पीड ब्रेकर और चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं। साथ ही वाहन चालकों के लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाने की भी जरूरत है ताकि वे यह समझ सकें कि एक छोटी सी गलती कई परिवारों को उम्र भर का दुःख दे सकती है।

मनोज कुमार की आकस्मिक मौत ने उनके परिवार को असहनीय पीड़ा दी है। वे अपने पीछे एक पत्नी, दो छोटे बच्चे और एक बेसहारा परिवार छोड़ गए हैं। अब यह जिम्मेदारी प्रशासन और समाज की बनती है कि वे इस पीड़ित परिवार को न्याय, सहानुभूति और सहायता दिलाएं, ताकि वे इस संकट की घड़ी में अकेले न रह जाएं।

यह हादसा सिर्फ एक दुखद समाचार नहीं है, बल्कि पूरे हिमाचल और देशभर के पर्वतीय राज्यों के लिए एक चेतावनी है—जिम्मेदारी से वाहन चलाना केवल कानूनी बाध्यता नहीं, बल्कि मानवीय कर्तव्य है।

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