सगे रिश्तों पर भारी राजनीति: समधी-समधन एक-दूसरे के प्रचार से दूर, अलग-अलग पार्टियों से लड़ रहे चुनाव

सगे रिश्तों पर भारी राजनीति: समधी-समधन एक-दूसरे के प्रचार से दूर, अलग-अलग पार्टियों से लड़ रहे चुनाव

सगे रिश्तों पर भारी राजनीति: समधी-समधन एक-दूसरे के प्रचार से दूर, अलग-अलग पार्टियों से लड़ रहे चुनाव

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में एक अनोखा मुकाबला देखने को मिल रहा है, जहां सगे संबंधी होने के बावजूद दो उम्मीदवार अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़ रहे हैं। यह मामला है भाजपा प्रत्याशी शक्ति रानी शर्मा और कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप शर्मा का, जो रिश्ते में समधी-समधन हैं। शक्ति रानी शर्मा पंचकूला जिले की कालका विधानसभा सीट से भाजपा की ओर से चुनावी मैदान में हैं, जबकि कुलदीप शर्मा सोनीपत जिले की गन्नौर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी हैं।

शक्ति रानी शर्मा अम्बाला नगर निगम की मौजूदा मेयर हैं और सितंबर 2023 में भाजपा में शामिल हुई थीं। इससे पहले वे हरियाणा जनचेतना पार्टी (हजपा) से जुड़ी थीं। वहीं, उनके पति विनोद शर्मा ने अपनी पार्टी हजपा का भाजपा में विलय नहीं किया है, जिससे शक्ति रानी का दल-बदल व्यक्तिगत है। दूसरी ओर, कुलदीप शर्मा, जो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं, गन्नौर से चौथी बार चुनाव लड़ रहे हैं।

इस परिवारिक रिश्ते में राजनीति का दखल तब और गहराया जब शक्ति रानी के बेटे कार्तिकेय शर्मा, जो हरियाणा से निर्दलीय राज्यसभा सांसद हैं, ने केंद्र में मोदी सरकार को समर्थन दिया है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि शक्ति रानी के परिवार के सदस्य एक-दूसरे के लिए प्रचार नहीं कर सकते। शक्ति रानी के छोटे बेटे कार्तिकेय की शादी कुलदीप शर्मा की बेटी ऐश्वर्या से हुई है, जिससे दोनों परिवारों में समधी-समधन का रिश्ता है।

यहां तक कि कुलदीप शर्मा की बेटी ऐश्वर्या, जो अपनी सास शक्ति रानी के लिए कालका में भाजपा का प्रचार कर रही हैं, अपने पिता के लिए गन्नौर में कांग्रेस का प्रचार नहीं कर सकतीं। इसी तरह, कार्तिकेय भी अपने ससुर के लिए गन्नौर में कांग्रेस का समर्थन नहीं कर रहे हैं। पारिवारिक समीकरणों और राजनीतिक प्रतिबद्धताओं के बीच, दोनों परिवार एक-दूसरे के लिए चुनाव प्रचार करने से दूर हैं।

गौरतलब है कि यह कोई पहली बार नहीं है जब शक्ति रानी और कुलदीप शर्मा अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़ रहे हैं। 2014 के विधानसभा चुनाव में भी शक्ति रानी ने हजपा के टिकट पर कालका से चुनाव लड़ा था, लेकिन तब उनकी जमानत जब्त हो गई थी। दूसरी ओर, कुलदीप शर्मा उस समय गन्नौर से कांग्रेस के विधायक चुने गए थे।

अब सभी की नजरें 8 अक्टूबर पर टिकी हैं, जब मतगणना के बाद यह स्पष्ट होगा कि क्या इस बार दोनों समधी-समधन विधायक बनकर विधानसभा पहुंचते हैं या नहीं।

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