हिमाचल प्रदेश में सूखे के हालात: बेमौसम की बेरुखी से तापमान में वृद्धि, किसानों और जल स्रोतों पर संकट

हिमाचल प्रदेश में सूखे के हालात: बेमौसम की बेरुखी से तापमान में वृद्धि, किसानों और जल स्रोतों पर संकट

हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ समय से मौसम की अनियमितता ने चिंता बढ़ा दी है। अक्टूबर माह में बारिश में 97 प्रतिशत की भारी कमी के बाद अब नवंबर की शुरुआत में भी बारिश के कोई संकेत नहीं हैं, जिससे राज्य के कई हिस्सों में सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। लगातार सूखा मौसम होने से तापमान में वृद्धि दर्ज की जा रही है, जिससे खेती-बाड़ी और जल स्रोतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

मौसम वैज्ञानिक शोभित कटियार के अनुसार, प्रदेश में सामान्य बारिश और बर्फबारी के अभाव का मुख्य कारण पश्चिमी विक्षोभ का हिमाचल की ओर न आना है। पश्चिमी विक्षोभ, जो कि मुख्यतः ईरान या इराक के पास से बनना शुरू होता है और अफगानिस्तान, पाकिस्तान से होते हुए उत्तरी भारत में प्रवेश करता है, पिछले कुछ समय से हिमाचल प्रदेश की ओर रुख नहीं कर रहा है। उन्होंने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ का लेटिट्यूड 25 या 26 डिग्री उत्तर होने पर ही यह हिमाचल प्रदेश में बारिश या बर्फबारी लाता है। परंतु वर्तमान में अधिकांश पश्चिमी विक्षोभ लद्दाख और अन्य उत्तरी क्षेत्रों से होकर ही गुजर रहे हैं, जिसके कारण हिमाचल में बारिश की गतिविधियां नहीं हो रही हैं।

 सूखे के हालात और उनके प्रभाव:

1. फसलों पर प्रभाव: लगातार सूखे के कारण रबी की फसलें प्रभावित हो रही हैं। कृषि योग्य भूमि में नमी की कमी होने से बीज अंकुरित नहीं हो पा रहे हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो सकता है। इससे राज्य में खाद्यान्न उत्पादन पर भी संकट मंडरा रहा है।

2. जल स्रोतों पर असर: जल स्रोतों में पानी का स्तर लगातार घट रहा है। नदी, नाले और झरने सूखते जा रहे हैं, जिससे पेयजल संकट की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा, सिंचाई के लिए भी पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

3. वन्यजीवों पर प्रभाव: जंगलों में भी पानी की कमी का प्रभाव पड़ सकता है। यह वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास में पानी की उपलब्धता को सीमित कर सकता है, जिससे वन्यजीवों को भी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।

4. मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर: तापमान में वृद्धि से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। सूखा और गर्म मौसम शरीर पर तनाव डाल सकता है, जिससे गर्मी जनित बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है।

समाधान और अपेक्षाएं:

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पश्चिमी विक्षोभ हिमाचल प्रदेश की ओर मुड़े और दक्षिण की ओर आएं, तो हिमाचल में वर्षा और बर्फबारी की संभावनाएं बन सकती हैं, जिससे तापमान में गिरावट आएगी और सूखे के हालातों में सुधार हो सकता है। परंतु, वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि यह कब संभव होगा।

हिमाचल प्रदेश के लोगों और किसानों को तत्काल राहत के लिए राज्य सरकार से कदम उठाने की अपेक्षा है, जिससे सूखे के कारण होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।

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