- October 3, 2024
पिंकी हरयान: संघर्ष से सफलता की कहानी

पिंकी हरयान: संघर्ष से सफलता की कहानी
सप्तऋषि सोनी:
धर्मशाला की पिंकी हरयान की कहानी संघर्ष, साहस और प्रेरणा की मिसाल है। जब वह केवल चार साल की थी, तब अपने परिवार के साथ धर्मशाला के मैक्लोडगंज में दलाई लामा की शरणस्थली की सड़कों पर भीख मांगती थी। उनकी मां भीख मांगकर अपने परिवार का भरण-पोषण करती थी, और पिंकी ने भी इस कठिनाई को झेला। लेकिन उनकी किस्मत ने एक मोड़ लिया, जब तिब्बती संस्था टोंग-लेन ने उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया और उन्हें अपने हॉस्टल में जगह दी। यहीं से पिंकी की जिंदगी बदल गई।
पिंकी ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से बैचलर ऑफ मेडिसिन और बैचलर of सर्जरी (MBBS) की डिग्री पूरी की। यह न केवल उनके लिए, बल्कि उनके परिवार के लिए भी एक नया अध्याय था। उनका परिवार अब धर्मशाला की चरान खड्ड के साथ झुग्गियों में रहने के बजाय बेहतर जीवन जीने के योग्य हो गया है। पिंकी की कहानी ने यह साबित कर दिया कि सच्ची मेहनत और एक सही दिशा में प्रयास करने से कोई भी व्यक्ति अपनी मुश्किलों को पार कर सकता है।
टोंग-लेन चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक और निदेशक, भिक्षु जामयांग ने पिंकी की जिंदगी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2018 में, उन्होंने पिंकी को चीन के एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दिलवाया। यहाँ पिंकी ने छह साल तक MBBS की पढ़ाई की और अब वह एक सफल डॉक्टर बनकर लौट आई हैं। उनकी सफलता की कहानी ने न केवल उन्हें, बल्कि उनके परिवार को भी गर्वित किया है।
पिंकी का कहना है, “2005 में मेरी जिंदगी में सबसे बड़ा बदलाव आया। मैं खुद को बेहद भाग्यशाली मानती हूँ कि मुझे भिक्षु जामयांग, दलाई लामा और मेरी पढ़ाई के खर्च में मदद करने वालों का सहयोग मिला।” उन्होंने अपने पिता का भी उल्लेख किया, जो पहले बूट पॉलिश का काम करते थे और बाद में झुग्गियों में चादर और दरी बेचने लगे। अब पिंकी के छोटे भाई और बहन भी टोंग-लेन स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं, जिसका उद्घाटन 2011 में दलाई लामा ने किया था।
भिक्षु जामयांग ने बताया कि पिंकी शुरू से ही पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। उसने 12वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण करते ही नीट परीक्षा पास कर ली थी, जिससे उसे मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिल सकता था। लेकिन प्राइवेट कॉलेज की फीस बहुत अधिक थी, जिससे उसकी राह कठिन हो गई।
पिंकी ने दयानंद मॉडल स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की और वह बताती हैं, “2010 में एक इंटरव्यू के दौरान मुझसे पूछा गया कि मैं बड़े होकर क्या बनना चाहती हूँ। मैंने कहा था कि मैं डॉक्टर बनना चाहती हूँ, लेकिन मुझे नहीं पता था कि डॉक्टर कैसे बनते हैं।” आज, वह न केवल एक डॉक्टर बन चुकी हैं, बल्कि फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलती हैं।
पिंकी की यह सफलता न केवल उनके लिए, बल्कि उन सभी बच्चों के लिए एक प्रेरणा है जो कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने टोंग-लेन चैरिटेबल ट्रस्ट को अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय दिया है, जिसने उन्हें शिक्षा और सपनों की ओर आगे बढ़ने का मौका दिया।
पिंकी की कहानी यह दर्शाती है कि जब व्यक्ति में संघर्ष करने की क्षमता होती है और उसे सही मार्गदर्शन मिलता है, तो कोई भी सपना सच हो सकता है। यह उनकी मेहनत और दृढ़ निश्चय का परिणाम है कि उन्होंने अपने जीवन की सबसे बड़ी चुनौती को पार किया और अब एक सफल डॉक्टर के रूप में समाज की सेवा कर रही हैं।
पिंकी हरयान की यह प्रेरणादायक यात्रा उन सभी लोगों के लिए एक सच्ची प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
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