- November 2, 2023
करवा चौथ पर सुहागिनों ने चांद का दीदार कर व्रत खोला
करवा चौथ व्रत का महत्व विवाहित महिलाओं के लिए बहुत अधिक होता है, और यह एक बड़ा पर्व होता है जो विशेष रूप से पूर्वी भारतीय राज्यों जैसे कि हिमाचल प्रदेश,पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, जम्मू-कश्मीर, और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है।
करवा चौथ का त्योहार चौथी तिथि (चौथा दिन) को मनाया जाता है, जो कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आता है। इस दिन सुहागिन और विवाहित महिलाएं व्रत करती हैं और सुबह से रात के आखिरी समय तक बिना पानी पिए और बिना खाने पीने के रहती हैं।
करवा चौथ के व्रत में महिलाएं विशेष रूप से सुबह से रात तक चांद का इंतजार करती हैं। चांद का दीदार व्रत के अहम हिस्से में होता है, जिसका उद्देश्य होता है कि पति की लम्बी और सुरक्षित जीवनकाल की कामना की जाती है।
इस दिन महिलाएं विशेष रूप से सज-धजकर तैयार होती हैं और चांद के दीदार के बाद उन्हें पति द्वार का दर्शन करवाती हैं, जिसके बाद व्रत को खोला जाता है।
करवा चौथ के दिन, देश भर की सुहागिनों ने अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला उपवास रखती हैं।
देश के सभी हिस्सों में, सुहागिनों ने रात में चांद का दीदार किया और पूजा-अर्ध्य के बाद अपना व्रत खोला। इस दिन, महिलाएं छलनी से चांद का दीदार करती हैं और फिर अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलती हैं।
चंडीगढ़, पंचकूला, जिरकपुर, ढकोली और आसपास के इलाकों में भी सुहागिनों ने करवा चौथ का व्रत रखा और चांद का दीदार किया।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला समेत कई बड़े शहरों में भी करवा चौथ के चांद का दीदार किया गया।