(राहुल सोनी)अमृतसर का प्रतिष्ठित गुरु नानक देव अस्पताल एक ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ चिकित्सा क्षेत्र में नई मिसाल बन गया है। इस अस्पताल ने उत्तर भारत के पहले सरकारी अस्पताल के रूप में एक ऐसी दुर्लभ सर्जरी को अंजाम दिया है, जो अब तक निजी अस्पतालों और विशेष चिकित्सा संस्थानों तक ही सीमित मानी जाती थी। यह उपलब्धि चिकित्सा के क्षेत्र में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदलती तस्वीर को दर्शाती है।
अस्पताल में की गई इस दुर्लभ सर्जरी के पीछे एक 13 वर्षीय बच्चे की जटिल हृदय स्थिति थी, जिसे “साइनस वेनोसस एएसडी” और “पार्शियल एनॉमलस पल्मोनरी वेन कनेक्शन (PAPVC)” नामक जन्मजात हृदय विकार था। इस बीमारी के बारे में जानकारी देते हुए अमृतसर की डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी ने बताया कि यह स्थिति दुनिया भर में लाखों बच्चों में से केवल कुछ को ही प्रभावित करती है और इससे पीड़ित बच्चों को सांस लेने में कठिनाई, विकास में देरी और बार-बार श्वसन संक्रमण जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत डॉ. सुनीत ने इस बच्चे के केस को डिप्टी कमिश्नर के संज्ञान में लाया। डिप्टी कमिश्नर साहनी ने तत्परता से इस पर कार्रवाई करते हुए गुरु नानक देव अस्पताल के अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. परविंदर सिंह से संपर्क किया। डॉक्टर सिंह ने गहन परीक्षणों के बाद पुष्टि की कि इस बच्चे की स्थिति अत्यंत संवेदनशील है और इसमें पारंपरिक हृदय शल्य चिकित्सा की आवश्यकता है, जो कार्डियो-पल्मोनरी बायपास (CPB) तकनीक के साथ की जाती है।
इस प्रकार की सर्जरी में जटिलताएं आम होती हैं, जैसे कि एसए नोडल डिसफंक्शन और हृदय वाल्व रिसाव, जो सर्जरी को और भी चुनौतीपूर्ण बनाते हैं। लेकिन गुरु नानक देव अस्पताल की टीम ने इसे न केवल सफलतापूर्वक अंजाम दिया, बल्कि यह सुनिश्चित भी किया कि बच्चा सर्जरी के बाद पूरी तरह से स्वस्थ जीवन की ओर लौट सके।
इस पूरे प्रयास को रेड क्रॉस सोसाइटी के सहयोग से संपन्न किया गया। डिप्टी कमिश्नर ने रेड क्रॉस की ओर से अस्पताल को 2.5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी प्रदान की, जिससे सर्जरी के खर्चों को पूरा किया गया। सर्जरी के पश्चात, जब डिप्टी कमिश्नर ने अस्पताल पहुंचकर बच्चे से मुलाकात की, तो उन्होंने उसे शुभकामनाएं दीं और इस सफल चिकित्सा प्रयास को अमृतसर के लिए गौरव की बात बताया।
इस अवसर पर स्थानीय विधायक डॉ. अजय गुप्ता भी विशेष रूप से उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि यह केवल एक सर्जरी नहीं, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य तंत्र की क्षमता और संवेदनशीलता का प्रतीक है। उन्होंने रेड क्रॉस, चिकित्सा विशेषज्ञों और पूरे नर्सिंग स्टाफ का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस बच्चे की जान बचाना आप सभी की ईमानदार सेवा भावना और टीमवर्क का प्रमाण है। डॉ. गुप्ता ने विशेष रूप से डॉ. परविंदर सिंह, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजीव देवगन, डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. आई.पी.एस. ग्रोवर और अस्पताल स्टाफ की सराहना की।
यह सफलता इस बात का संकेत है कि अब सरकारी अस्पतालों में भी जटिल और उन्नत चिकित्सा सेवाएं आमजन तक पहुँच रही हैं। गुरु नानक देव अस्पताल ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि समर्पण, संसाधन और प्रशासनिक सहयोग हो, तो सरकारी संस्थान भी चिकित्सा की किसी भी ऊंचाई को छू सकते हैं।
यह रिपोर्ट एक वेब-जनरेटेड न्यूज़ स्टोरी है, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं में हो रहे सकारात्मक बदलावों की जानकारी आम जनता तक पहुंचाना है।
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