अमृतसर नगर निगम मेयर चुनाव विवाद: हाई कोर्ट में अगली सुनवाई अब 31 जुलाई को तय

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अमृतसर, ( कुमार सोनी ): अमृतसर नगर निगम के मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पदों को लेकर चल रहे विवाद ने एक बार फिर न्यायिक बहस को गर्मा दिया है। इस मामले में कांग्रेस पार्षद श्वेता छाबड़ा द्वारा दायर की गई कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में आज सुनवाई हुई, जहां अदालत ने मामले की अगली तारीख अब 31 जुलाई निर्धारित की है। इस याचिका में पार्षद ने चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और वैधता को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति पंकज जैन ने अमृतसर नगर निगम को आदेश दिया था कि 25 जुलाई की पिछली सुनवाई के अनुसार मेयर चुनाव प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की सीडी शपथ-पत्र सहित अदालत में प्रस्तुत की जाए। निर्देशों के अनुपालन में आज सरकारी वकील ने एफिडेविट के साथ वीडियोग्राफिक साक्ष्य अदालत के समक्ष पेश किया। हालांकि, सीडी को कोर्ट रूम में डिस्प्ले करने की प्रक्रिया में कुछ व्यवधान उत्पन्न हुआ क्योंकि सरकारी वकील ने अदालत को सूचित किया कि वे हाई कोर्ट की एक अन्य अदालत में व्यस्त हैं। इसके कारण आज सीडी देखने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी और अब न्यायाधीश ने अगली सुनवाई 31 जुलाई को निर्धारित की है।

वहीं, इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस पार्षद विकास सोनी द्वारा मेयर चुनाव को दोबारा करवाने की मांग को लेकर दाखिल की गई याचिका पर अब सुनवाई 11 अगस्त को होगी। विकास सोनी ने दावा किया है कि आम आदमी पार्टी ने नगर निगम में बहुमत न होने के बावजूद धक्केशाही के जरिए मेयर पद पर काबिज होने की प्रक्रिया को अंजाम दिया, जिससे लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना हुई। उन्होंने हाई कोर्ट में इस प्रक्रिया की वैधता को चुनौती दी है और चुनाव को रद्द करने की मांग की है।

विकास सोनी का कहना है कि उन्हें भारत की न्यायपालिका पर पूर्ण विश्वास है और उन्हें आशा है कि अदालत इस मामले में निष्पक्ष न्याय देगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव के दिन आम आदमी पार्टी के सदस्यों द्वारा कांग्रेस पार्षदों को उनके अधिकार से वंचित करने का प्रयास किया गया, जिसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

इस मामले ने राज्य की राजनीति में एक बार फिर आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति पैदा कर दी है, जहां कांग्रेस इसे लोकतंत्र की हत्या बता रही है जबकि आम आदमी पार्टी इसे पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया मान रही है। अब सभी की निगाहें 31 जुलाई की अगली सुनवाई और 11 अगस्त की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि क्या अमृतसर नगर निगम में मेयर पद के लिए दोबारा चुनाव करवाना पड़ेगा या नहीं। यह मामला सिर्फ नगर निगम के चुनाव तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि इसमें राजनीतिक दलों की विश्वसनीयता और संवैधानिक मर्यादा भी दांव पर लगी हुई है।

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