हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में मानसून के दस्तक देते ही चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे-3 पर भूस्खलन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। झिड़ी के पास शुक्रवार को एक बार फिर पहाड़ दरक गया और मलबा सीधे हाईवे पर आ गिरा। इस दौरान सड़क पर गाड़ियां लगातार आती-जाती रहीं लेकिन किसी भी सरकारी तंत्र की ओर से मौके पर वाहनों को रोकने या लोगों को सावधान करने का कोई प्रयास नहीं दिखा। यही नहीं, जब एक पत्रकार ने घटनास्थल पर पहुंचे एनएचएआई अधिकारी से सुरक्षा उपायों को लेकर सवाल पूछे, तो अधिकारी बिफर उठा और पत्रकार के साथ बेहद अपमानजनक व्यवहार करते हुए थप्पड़ मारने की धमकी दी।
स्थानीय लोगों और मीडिया से जुड़े लोगों के अनुसार, अधिकारी ने यह तक कह डाला कि वह घुमा कर थप्पड़ मारेगा। यह घटना न सिर्फ प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि जब आम लोग या पत्रकार सुरक्षा और जवाबदेही को लेकर सवाल उठाते हैं, तो कैसे कुछ अधिकारी अपने पद के घमंड में अहंकार की सारी हदें पार कर देते हैं।
हिमाचल प्रदेश में एनएचएआई की कार्यप्रणाली को लेकर पहले से ही लोगों में असंतोष है। हाईवे निर्माण और रखरखाव में लगातार हो रही अनदेखी, समय पर चेतावनी और सुरक्षा उपायों की कमी ने अब सवाल पूछना तक मुश्किल बना दिया है। पत्रकारों को भी अब डर सता रहा है कि अगर वे अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए जनता की समस्याएं उजागर करें, तो उन्हें भी सत्ता संरक्षित अफसरशाही के गुस्से का शिकार होना पड़ सकता है।
यह घटना हिमाचल के उन हजारों लोगों की आवाज है जो बरसात में खतरनाक सड़कों से जान जोखिम में डालकर गुजरते हैं और उम्मीद करते हैं कि कम से कम सवाल पूछने पर उन्हें धमकाया या अपमानित न किया जाए। जब तक ऐसे अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक यह सवाल बना रहेगा—इन अफसरों को जवाबदेह कौन बनाएगा?
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