अमृतसर, राहुल सोनी

पंजाब विधानसभा के बाढ़ से जुड़े मुद्दे पर बुलाई गई विशेष बैठक के दौरान अजनाला के विधायक व पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने भयावह बाढ़ से हुई तबाही की मार्मिक दास्तान भावुक शब्दों में रखते हुए कहा कि वे इस पवित्र सदन में एक विधायक के रूप में नहीं, बल्कि 26 अगस्त से 24 सितम्बर तक अपने क्षेत्र के गांवों व अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाढ़ के कहर से जूझते लोगों की तकलीफ़ों और ज़हरीले सांप की तरह डसती रावी नदी की बाढ़ की लहरों के साक्षात गवाह के रूप में खड़े हैं। उन्होंने सदन में ज़ोर देकर कहा कि रावी नदी के पानी के प्रकोप में सुनहरे खेतों में लहलहाते धान के खडी फसलें पलक झपकते ही 6 -7 फुट पानी में डूब गईं और पहाड़ों पर बादल फटने से तेज़ बहाव के साथ आया कंक्रीट, लाल मिट्टी, गारा और रेत खेतों में भर गया। घोहनेवाला, माछीवाला, निस्सोके, सिंघोके, जट्टा पछियां, रूड़ेवाल, मलिकपुर आदि 30–40 गांवों के खेतों का नज़दीकी और बारीकी से जायज़ा लेने के लिए विधानसभा की उच्च स्तरीय समिति गठित की जानी चाहिए। श्री धालीवाल के इन विचारों को आज यहाँ उनके मीडिया सलाहकार प्रशोतम ने साझा करते हुए बताया कि धालीवाल ने कहा कि 1988 की भयावह बाढ़ से लेकर आज तक बार-बार आई रावी नदी की बाढ़ में अजनाला क्षेत्र के सैकड़ों एकड़ उपजाऊ खेत नदी में समा गए। इन ज़मीनों का उचित मुआवज़ा 20-20 लाख रुपए प्रति एकड़ देने के लिए केंद्र सरकार अब तक मूकदर्शक बनी हुई है। जबकि नदियों के तटबंध मज़बूत करना और नदी में समाई ज़मीन का मुआवज़ा देना राज्यों का नहीं बल्कि केंद्र सरकार का अधिकार क्षेत्र है।
श्री धालीवाल ने सदन में विपक्ष के नेता और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रताप सिंह बाजवा पर भी हमला करते हुए कहा कि हाल ही में पाकिस्तान की भारत विरोधी साज़िशों को नाकाम करने के लिए हुए “ऑपरेशन सिंधूर” समेत भारत–पाक के सीधे और परोक्ष युद्धों में देश की सलामती के लिए अपनी जान दांव पर लगाने वाले उनके क्षेत्र के लोग ही हैं। यही लोग रावी नदी की बाढ़ की तबाही में अपने घर-बार, पशुधन और सामान को छोड़कर तेज़ बहाव से जान बचाने को मजबूर हुए। फिर भी सदन में उनके दर्द पर बाजवा ने हमदर्दी का एक नारा तक नहीं लगाया, जबकि पूरी पंजाब जनता इस त्रासदी को देख-सुनकर सहम गई थी। धालीवाल ने कहा कि प्रभावित लोगों के पुनर्वास और खेतों को दोबारा खेती योग्य बनाने तक वे डटकर सेवा में लगे रहेंगे।