शहर में कूडा उठाने का हुक्म हाईकोर्ट को देना है, तों फिर निगम चुनावों  की जरूरत ही क्या है —प्रो दरबारी लाल

अमृतसर, (  राहुल सोनी  )
पंजाब के पूर्व डिप्टी स्पीकर प्रो.दरबारी लाल ने शहर में कूडा उठाने के मामले का माननीय हाईकोर्ट के फैसले के इंतजार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कूडा उठाने का फैसला यदि हाईकोर्ट को ही करना है तों फिर निगम चुनाव कराने की जरूरत ही क्या है। जो फैसला होगा उसकी पालना तों अफ़सर ही कर लेंगे तों फिर शहरीयो कों चुनाव में मतदान करना तों पूरी तरह से बेमानी होगा । प्रो .लाल ने कहा कि जब से कूडा उठाने का ठेकेदारी प्रणाली शुरू हुई है हर 5-6 महीने के बाद कोई ना कोई अनावश्यक उलझन खडी हो जाती है। शहर में कूडे के जगह जगह पर ढ़ेर लग जाते हैं वहां से गुजरना परेशानी का सबब बन जाता है कहीं बार तेज हवा से  गलीयो और बाजारों में कुडा दूर दूर तक फैल जाता है जो निगम की कार्य प्रणाली पर कई तरह के प्रश्न खड़े कर देता है
  ठेकेदारी प्रणाली से पहले सफाई सेवक इस काम को बड़ी जिम्मेदारी से अंजाम देते थे। और शिकायतें भी ना के बराबर थी।  प्रो .लाल ने कहा कि कोर्ट में पहले ही अनगिनत केस विचाराधीन है  जिन्हें निपटाने के लिए लंबा समय लग जाता है। कोर्ट में फैसला लेने की बजाय मेयर कों हाऊस की बैठक में  कर लेना चाहिए जो प्रजातांत्रिक पद्धति की शोभा ही नही बढ़ाता बल्कि  शहरीयो के जज्बात की भी तर्ज मानी करता है। स्थानीय मसलों कों निगम स्तर पर समाधान  कर लेना एक अच्छा क़दम है। प्रो .लाल ने कहा कि कि अक्टूबर ओर नवंबर में सबसे अधिक शुभ त्योहार मनायें जातें हैं। शोभायात्राओं के दौरान बाजारों में कूडे के ढेर के कारण निगम की छवि भी धूमिल होती है। स्मार्ट शहर के निर्माण के दावे की भी पोल खुल जाती है। निगम के पार्षद और अधिकारी बिना देरी किए इस मसले का हल निकाले।