हिमाचल प्रदेश की जनता को एक बार फिर जेब पर बोझ झेलने के लिए तैयार रहना होगा, क्योंकि प्रदेश सरकार ने राज्यभर में बसों के किराए में औसतन 15 प्रतिशत की वृद्धि कर दी है। परिवहन विभाग द्वारा 8 मई 2025 को जारी अधिसूचना के अनुसार, अब लंबी दूरी की यात्रा करने वाले यात्रियों को पहले की तुलना में कहीं अधिक किराया चुकाना पड़ेगा। इस नई व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
सरकार के इस फैसले का सीधा असर उन लाखों लोगों पर पड़ेगा जो रोज़ाना या समय-समय पर राज्य परिवहन की बसों का सहारा लेते हैं, खासकर दूरदराज़ के ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोग, जिनके लिए परिवहन व्यवस्था जीवनरेखा से कम नहीं है। जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि साधारण बस सेवा (Ordinary Bus Services), डीलक्स और एसी/सुपर लक्ज़री बस सेवाओं के किराए में अलग-अलग दरों से वृद्धि की गई है।
अब साधारण बसों में मैदानी इलाकों के लिए प्रति किलोमीटर किराया 160 पैसे (यानी ₹1.60) और पहाड़ी क्षेत्रों में 250 पैसे (₹2.50) तय किया गया है। डीलक्स बस सेवाओं का नया किराया क्रमशः ₹1.95 (मैदानों में) और ₹3.10 (पहाड़ों में) प्रति किलोमीटर होगा। वहीं, एसी या सुपर लक्ज़री बसों के लिए यह दरें ₹3.90 और ₹5.20 प्रति किलोमीटर तक पहुंच गई हैं।
यह निर्णय ‘मोटर वाहन अधिनियम, 1988’ की धारा 67 के तहत प्रदत्त शक्तियों के तहत लिया गया है, जिसके अंतर्गत राज्य सरकार को सार्वजनिक परिवहन के किराए को नियंत्रित करने का अधिकार प्राप्त है। सरकार का कहना है कि यह बढ़ोतरी मुद्रास्फीति, ईंधन लागत और रखरखाव व्यय जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए की गई है।
अधिसूचना में यह भी उल्लेख किया गया है कि ये दरें अधिकतम सीमा हैं और इसमें सभी प्रकार के कर शामिल हैं। भविष्य में किराए की समीक्षा एवं संशोधन एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत किया जाएगा, जिसे परिवहन विभाग द्वारा समय-समय पर महंगाई दर के आधार पर तय किया जाएगा।
हालांकि इस फैसले की आलोचना भी हो रही है। खासकर उन इलाकों में जहां परिवहन के सीमित विकल्प हैं, वहां के नागरिकों के लिए यह वृद्धि असुविधाजनक हो सकती है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह कदम आम आदमी की आजीविका पर अप्रत्यक्ष कर की तरह असर करेगा, खासकर उन छात्रों, किसानों और मजदूरों पर जो सार्वजनिक परिवहन पर निर्भर हैं।
हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी राज्य है जहां सड़कों की स्थिति और भौगोलिक कठिनाइयों के चलते निजी परिवहन का विकल्प हर किसी के लिए सुलभ नहीं है। ऐसे में बसें ही अधिकांश लोगों के लिए आवागमन का प्रमुख साधन हैं। इस किराया वृद्धि ने एक बार फिर से सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था और उसके सामाजिक असर पर चर्चा छेड़ दी है।
यह लेख सरकारी दस्तावेज़ों और समाचार एजेंसियों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है।
#हिमाचलप्रदेश #बसकिराया #परिवहनविभाग #जनहित #महंगाई