C-814 अपहरण का मास्टरमाइंड और जैश का ऑपरेशनल प्रमुख अब्दुल रऊफ अज़हर ढेर

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ऑपरेशन सिंदूर: जैश-ए-मोहम्मद के खतरनाक आतंकी रऊफ अज़हर का अंत, भारत ने चुकाया पहलगाम हमले का बदला

भारतीय वायुसेना की ओर से पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में किए गए सटीक और रणनीतिक हवाई हमलों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जब देश की संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा की बात आती है, तो भारत जवाब देने में संकोच नहीं करता। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम से किए गए इस निर्णायक प्रतिशोध अभियान में भारत के सबसे वांछित आतंकियों में शुमार अब्दुल रऊफ अज़हर मारा गया—एक ऐसा नाम जो देश के लिए वर्षों से आतंक का पर्याय बन चुका था।

यह सैन्य कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए नृशंस आतंकी हमले के जवाब में की गई, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। भारतीय वायुसेना ने नौ अलग-अलग आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिनमें से एक था बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय “सुभान अल्लाह”—यही वह ठिकाना था जहां रऊफ अज़हर की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिली थी। हमला इतना सटीक और निर्णायक था कि मसूद अज़हर के दस परिवारजन और संगठन के चार शीर्ष सहयोगी भी मारे गए।

रऊफ अज़हर केवल मसूद अज़हर का छोटा भाई नहीं था, बल्कि जैश-ए-मोहम्मद का संचालन वही करता था। 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान IC-814 के अपहरण का मास्टरमाइंड होने के साथ-साथ वह 2001 के संसद हमले, 2002 में वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या, 2008 के मुंबई हमले, 2016 के पठानकोट हमले और 2019 के पुलवामा आत्मघाती हमले जैसे कई बड़े आतंकवादी घटनाओं का षड्यंत्रकर्ता रहा है।

2010 में अमेरिका ने उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था, लेकिन वर्षों तक वह पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों के संरक्षण में खुलेआम घूमता रहा। भारत द्वारा बार-बार उसके प्रत्यर्पण की मांग को पाकिस्तान ने नज़रअंदाज़ किया, लेकिन इस बार भारतीय वायुसेना ने उसे बच निकलने का मौका नहीं दिया।

ऑपरेशन सिंदूर केवल एक जवाबी हमला नहीं था, यह भारत की नई सैन्य नीति का स्पष्ट संदेश है—सटीकता, साहस और राजनीतिक इच्छाशक्ति से भरपूर। यह कार्रवाई न केवल शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि है, बल्कि यह भी संकेत है कि भारत अब अपने दुश्मनों को उनके गढ़ में घुसकर सज़ा देने से नहीं हिचकेगा।

भारत का यह संदेश न केवल पाकिस्तान के लिए है, बल्कि उन तमाम आतंकी नेटवर्कों के लिए भी है जो भारत की शांति और अखंडता को चुनौती देने की भूल करते हैं। इस अभियान के बाद सीमापार की गतिविधियों पर वैश्विक नजरें टिक गई हैं और भारत की कूटनीतिक स्थिति एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है, जहां वह केवल प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि रणनीतिक कार्रवाई के लिए पहचाना जाने लगा है।

डिस्क्लेमर: यह खबर एक स्वतः-जनित समाचार लेख है और इसमें शामिल विवरण आधिकारिक स्रोतों पर आधारित हैं।

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