बेटी की इंसुलिन तक जुटा न सके पिता: कर्ज में डूबे लखनऊ के कारोबारी ने की आत्महत्या, फेसबुक लाइव में जताया दर्द

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक बेहद दर्दनाक और भावनात्मक रूप से झकझोर देने वाली घटना सामने आई है, जिसने समाज, सरकार और उद्योग जगत को आत्मचिंतन के लिए मजबूर कर दिया है। एक कर्ज में डूबे रियल एस्टेट कारोबारी ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली, लेकिन उससे पहले उसने फेसबुक लाइव वीडियो के माध्यम से देश के नाम एक ऐसा संदेश छोड़ा, जिसने लाखों दिलों को दहला दिया। कारोबारी ने अपनी जान लेने से पहले सोशल मीडिया पर अपनी मजबूरी, टूटे सपनों और बेटी के इलाज के लिए भीख मांगते हुए एक भावुक अपील की, जिसे देखकर हर कोई स्तब्ध रह गया।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, मृतक की पहचान अभी सार्वजनिक नहीं की गई है। उसने अपने ऑफिस में सुरक्षा गार्ड की बंदूक से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। यह पूरी घटना उस वक्त हुई जब वह फेसबुक पर लाइव था और देश की जानी-मानी हस्तियों और उद्योगपतियों से अपनी परिवार की मदद के लिए गुहार लगा रहा था। उसका सबसे बड़ा दर्द यह था कि वह अपनी डायबिटीज से पीड़ित बेटी के लिए जरूरी इंसुलिन इंजेक्शन तक नहीं खरीद पा रहा था। वीडियो में वह भावुक होकर बार-बार यही कहता रहा कि वह अब और आर्थिक दबाव नहीं झेल सकता।

जब तक परिवार के सदस्य, जो उस फेसबुक लाइव को देख रहे थे, पुलिस को सूचना देकर घटनास्थल पर पहुंचे, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। पुलिस ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि वह व्यक्ति पिछले कई वर्षों से भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा था और उस पर कई करोड़ रुपये का कर्ज था। रियल एस्टेट सेक्टर में गिरावट, कोरोना काल की मार और आर्थिक अस्थिरता के कारण उसका व्यापार लगातार घाटे में जा रहा था। इन सबके बीच वह मानसिक रूप से पूरी तरह टूट चुका था।

घटना के बाद पुलिस ने संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यह भी जांच का विषय है कि वह व्यक्ति सुरक्षा गार्ड की बंदूक तक कैसे पहुंचा। उसके दफ्तर की सुरक्षा व्यवस्था, हथियार की निगरानी और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही जैसे तमाम पहलुओं को खंगाला जा रहा है।

इस घटना ने देश में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति, मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही और कारोबारी वर्ग के सामने खड़ी आर्थिक चुनौतियों को उजागर किया है। एक पिता की बेबसी जिसने अपनी बच्ची की जिंदगी के लिए भी मदद मांगते-मांगते मौत को गले लगा लिया, यह केवल एक खबर नहीं बल्कि एक गहरी सामाजिक विफलता की तस्वीर है। ऐसे समय में जब देश की अर्थव्यवस्था विकास के आंकड़े पेश कर रही है, वहीं जमीन पर कारोबारियों की एक बड़ी संख्या आर्थिक तंगी से जूझ रही है।

देश में आर्थिक असमानता और बेरोजगारी की बढ़ती समस्या अब सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं रही, बल्कि हर दिन सामने आ रहे आत्महत्याओं के मामलों में यह सच्चाई बेक़रारी से झलक रही है। गरीबी लगातार गहराती जा रही है और आम आदमी के पास कमाई के अवसर सीमित होते जा रहे हैं। यह विडंबना है कि केंद्र सरकार अपने राजनीतिक भाषणों में देश को आर्थिक महाशक्ति बताती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि करोड़ों लोग दो वक़्त की रोटी और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जूझ रहे हैं। कुछ दिन पहले केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी ने भी यह स्वीकार किया था कि देश की संपत्ति चंद अमीरों के हाथों में सिमटती जा रही है और आम जनता दिन-ब-दिन गरीब होती जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकारें केवल नारों और घोषणाओं तक सीमित रह जाएंगी या फिर वे आम जनता को आर्थिक स्थिरता और सम्मानजनक जीवन देने के लिए ठोस नीति और कार्यान्वयन का रास्ता अपनाएंगी?

कारोबारी का अंतिम फेसबुक लाइव अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे लोगों की भावनाएं जुड़ गई हैं। यह घटना इस बात की गवाही देती है कि सामाजिक संवेदनशीलता, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और कारोबारी समुदाय के लिए नीति स्तर पर ठोस हस्तक्षेप की अब सख्त ज़रूरत है।

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