कांग्रेस का मोहाली में ज़बरदस्त प्रदर्शन, ‘लैंड पूलिंग नहीं लैंड लूट पॉलिसी है’—सरकार पर किसानों की ज़मीन हड़पने का आरोप

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मोहाली, पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘लैंड पूलिंग पॉलिसी’ को लेकर आज मोहाली में कांग्रेस पार्टी ने ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMADA) कार्यालय के बाहर हुआ, जहां कांग्रेस नेताओं ने राज्य सरकार पर किसानों की ज़मीन लूटने का गंभीर आरोप लगाया और इस नीति को तुरंत रद्द करने की मांग की।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग, नेता विपक्ष प्रताप सिंह बाजवा और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू की अगुवाई में भारी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता, नेता और स्थानीय लोग इस प्रदर्शन में शामिल हुए। सभी ने सरकार की नीति के विरोध में नारे लगाए और इसे ‘किसान विरोधी’ बताते हुए भगवंत मान सरकार पर हमला बोला।

अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने सरकार की इस योजना को ‘लैंड पूलिंग नहीं, बल्कि लैंड लूटिंग पॉलिसी’ करार देते हुए कहा कि यह योजना पूरी तरह से किसानों के हितों के खिलाफ है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कोई भी किसान अपनी एक एकड़ कीमती ज़मीन महज़ 1000 गज ज़मीन के बदले नहीं देगा। उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान को चेतावनी देते हुए कहा कि जिस तरह केंद्र सरकार को तीन कृषि कानून किसानों के भारी विरोध के चलते वापस लेने पड़े थे, वैसे ही यह नीति भी वापस लेनी पड़ेगी। वडिंग ने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसानों की इस लड़ाई में पूरी ताकत के साथ उनके साथ खड़ी है और उनकी एक इंच ज़मीन भी नहीं हड़पने दी जाएगी।

प्रदर्शन को संबोधित करते हुए नेता विपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि सरकार इस योजना को ‘स्वैच्छिक’ बताकर भ्रम फैला रही है, जबकि सच्चाई यह है कि इसमें LAAR (लैंड एक्विज़िशन, रिहैबिलिटेशन एंड रिसेटलमेंट) एक्ट की क्लॉज़ शामिल की गई है, जिससे सरकार ज़मीन को कानूनी रूप से ज़ब्त कर सकती है। उन्होंने इसे एक सुनियोजित धोखा करार देते हुए कहा कि किसानों को मूर्ख बनाया जा रहा है और यह पूरी योजना “लैंड लूट” के लिए तैयार की गई है।

इस प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री भगवंत मान के नाम एक ज्ञापन GMADA के प्रशासक को सौंपा गया। ज्ञापन में कहा गया कि यह नीति राज्य के पर्यावरण, खेती, ग्रामीण ढांचे और किसानों की आजीविका के लिए विनाशकारी सिद्ध होगी। कांग्रेस ने इस नीति को तुरंत प्रभाव से रद्द करने की मांग की।

पूर्व मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने कहा कि सरकार द्वारा बार-बार यह दावा किया जा रहा है कि योजना स्वैच्छिक है, लेकिन असलियत यह है कि किसानों को ऐसे हालात में लाकर खड़ा कर दिया गया है कि वे न तो अपनी ज़मीन बेच सकते हैं और न ही उस पर ऋण ले सकते हैं। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि यह सब दिल्ली के इशारे पर हो रहा है, और मुख्यमंत्री ने अपनी सत्ता बचाने के लिए किसानों से ग़द्दारी की है।

बलबीर सिद्धू ने मनमोहन सिंह सरकार द्वारा लाए गए लैंड एक्विज़िशन एक्ट को किसानों के हित में बताया और कहा कि इसी कानून के चलते किसानों को उनकी ज़मीन का सही मुआवज़ा मिला। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वर्तमान सरकार न केवल उस कानून की आत्मा को मार रही है बल्कि किसानों की आर्थिक आज़ादी को भी छीनने पर तुली हुई है।

वडिंग ने पंजाब बीजेपी अध्यक्ष सुनील जाखड़ के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने अकाली दल के साथ गठबंधन की बात कही थी। वडिंग ने कटाक्ष करते हुए कहा कि ये दोनों पहले से मिले हुए हैं और अब जब ज़मीन खिसक चुकी है, तो एक-दूसरे का सहारा ढूंढ रहे हैं। उन्होंने कहा, “अगर ये मिल भी जाएं तो भी फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि ज़ीरो में ज़ीरो जोड़ो, तो भी ज़ीरो ही आता है।”

प्रदर्शन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रविंदर दलवी, सुखपाल सिंह खैहरा, कैप्टन संदीप संधू, गुरकीरत सिंह कोटली, काका रणदीप नाभा, साधु सिंह धर्मसोत, जसबीर डिम्पा, हरमिंदर गिल, कुलजीत नागरा, नवतेज सिंह चीमा, कुलदीप वैद, गगनदीप सिंह बॉबी, गुरशरण कौर रंधावा, मोहित मोहिंद्रा और रणजीत सिंह जीती सहित अनेक विधायक व नेता मौजूद रहे। प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन किसानों और कांग्रेस नेताओं का तेवर साफ था कि इस नीति के खिलाफ उनका संघर्ष आगे भी जारी रहेगा।

यह एक ऑटो वेब-जनरेटेड न्यूज़ वेब स्टोरी है।
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