हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर से राज्य सरकार के नए कलेक्टर रेट को लेकर तीखा हमला बोला है। उनका कहना है कि भाजपा सरकार ने कलेक्टर रेट में बेतहाशा वृद्धि कर दी है, जिससे जमीनों की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। इस फैसले से सबसे ज्यादा मार गरीब और मध्यम वर्गीय लोगों पर पड़ी है, जो अब अपने लिए जमीन या मकान खरीदने का केवल सपना ही देख सकते हैं। हुड्डा ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने कलेक्टर रेट को लेकर जनता से आपत्तियां या सुझाव मांगने का जो अभियान चलाया, वह महज एक दिखावा था और जनता की कोई सुनवाई वास्तव में नहीं हुई।
हुड्डा ने कहा कि भाजपा सरकार का यह कदम साफ दर्शाता है कि वह आम आदमी के हितों की बजाय, उन ताकतवर लोगों के फायदे को प्राथमिकता देती है जिनकी पहुंच सत्ता के गलियारों तक है। उन्होंने मांग की कि सरकार को इस फैसले को तुरंत प्रभाव से वापस लेना चाहिए और आम जनता को राहत देनी चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री के इन बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह सरकार गरीबों की सरकार है और हर फैसला गरीबों के हित में ही लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकारों में हमेशा बड़े और प्रभावशाली लोगों के हितों को ध्यान में रखकर नीतियां बनाई जाती थीं, जबकि भाजपा सरकार आम लोगों की तकलीफों को समझते हुए जमीन पर फैसले ले रही है। सीएम सैनी ने कहा कि हुड्डा सरकार के समय गरीब व्यक्ति की कोई सुनवाई नहीं होती थी, जबकि आज हम सीधे गांवों, शहरों और हर वर्ग के लोगों की भागीदारी से विकास योजनाएं बना रहे हैं।
मुख्यमंत्री सैनी ने अपने ताजा बयान में दोहराया कि कलेक्टर रेट में संशोधन का निर्णय राज्य के समग्र विकास को गति देने के लिए लिया गया है, ताकि राजस्व बढ़े और सरकारी योजनाओं के लिए संसाधन मजबूत हों। उन्होंने बताया कि पिछली सरकारों ने रेट कम करके केवल कुछ चुनिंदा लोगों को फायदा पहुंचाया, लेकिन भाजपा सरकार का उद्देश्य पारदर्शिता और न्याय के साथ हर वर्ग को समावेश करना है।
आज हरियाणा में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने विपक्ष के आरोपों पर सीधा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय गरीबों को उनकी जमीन का उचित मूल्य तक नहीं मिलता था। भाजपा सरकार ने न केवल कलेक्टर रेट में यथोचित संशोधन किया है बल्कि किसानों, मजदूरों, मध्यम वर्ग और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के हितों को ध्यान में रखते हुए कई राहत योजनाएं भी लागू की हैं।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार जनता की राय के लिए हमेशा तैयार है और कलेक्टर रेट को लेकर मिली सभी आपत्तियों और सुझावों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विपक्ष को केवल विरोध करने की आदत है, लेकिन सरकार योजनाओं को लागू करते समय हर वर्ग की भावनाओं और आवश्यकताओं का ध्यान रखती है।
मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राज्य सरकार एक सहभागी मॉडल के तहत शासन चला रही है, जहां जनता से संवाद और सुझावों के आधार पर नीतियां बनती हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में बढ़ते शहरीकरण और विकास की जरूरतों के मद्देनजर कलेक्टर रेट का यथासमय संशोधन जरूरी था, जिससे सरकारी और निजी परियोजनाओं के लिए आवश्यक राजस्व सुनिश्चित हो सके।
इस पूरे घटनाक्रम ने प्रदेश की राजनीति में गर्माहट भर दी है। एक ओर जहां विपक्ष भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश में जुटा है, वहीं सत्तारूढ़ पार्टी यह बताने में लगी है कि उसके निर्णय जनहित में हैं और सरकार पारदर्शी एवं जवाबदेह शासन देने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह देखना अब अहम होगा कि क्या सरकार आने वाले समय में कलेक्टर रेट को लेकर और कोई छूट या पुनर्विचार का रास्ता अपनाती है या फिर अपने रुख पर कायम रहती है। फिलहाल, कलेक्टर रेट को लेकर सियासत तेज हो चुकी है और दोनों प्रमुख दल – कांग्रेस और भाजपा – आम लोगों को अपने पक्ष में करने के लिए मैदान में उतर चुके हैं।
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